
वो कहती हैं आवाज़ देते हो मुझको,
तो यूँ चिल्लाते क्यूँ हो,
मिल नहीं सकती मैं तुमसे दिन के उजालो में,
शब् में सबको जागते क्यूँ हो,
दिल पे हाथ नहीं रखते इस तरह,
ज़ख्म अभी ताजा है,
तेरा दर्द तो महसूस मुझे भी होता है,
इसे रो के जताते क्यूँ हो
तो यूँ चिल्लाते क्यूँ हो,
मिल नहीं सकती मैं तुमसे दिन के उजालो में,
शब् में सबको जागते क्यूँ हो,
दिल पे हाथ नहीं रखते इस तरह,
ज़ख्म अभी ताजा है,
तेरा दर्द तो महसूस मुझे भी होता है,
इसे रो के जताते क्यूँ हो
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