अब के हम बिछडे तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले
ढूँड उजडे हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है कराबों में मिलें
तू खुदा है न मेरा इश्क farishton जैसा
दोनों इंसान है तो kyoon इतने hijaabon में मिलें
gham - ऐ - duniya भी gham - ऐ - यार में shaamil कर लो
नशा बढ़ता है sharaabein जो sharaabon में मिलें
अब न वो मैं huun न वो तू है न वो maazi है
' faraaz' जैसे दो saaये तमन्ना के saraabon में मिलें
1 comment:
good, narayan narayan
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