Monday, March 23, 2009

अब के बिछडे

अब के हम बिछडे तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले

ढूँड उजडे हुए लोगों में वफ़ा के मोती

ये खजाने तुझे मुमकिन है कराबों में मिलें

तू खुदा है न मेरा इश्क farishton जैसा

दोनों इंसान है तो kyoon इतने hijaabon में मिलें

gham - ऐ - duniya भी gham - ऐ - यार में shaamil कर लो

नशा बढ़ता है sharaabein जो sharaabon में मिलें

अब न वो मैं huun न वो तू है न वो maazi है

' faraaz' जैसे दो saaये तमन्ना के saraabon में मिलें